लाइव काव्य पाठ श्री वियोगी जी द्वारा

 


सरिता त्रिपाठी के फेसबुक पेज (@srtchem) से वारणसी के निवासी कवि श्री योगेंद्र नारायण चतुर्वेदी 'वियोगी' जी ने लाइव आकर अपने मुक्तक और गीत की लयबद्ध प्रस्तुति दी। वियोगी जी देवरिया के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से प्रवक्ता पद से सेवानिवृत हो चुके हैं। 

उनको साहित्य में योगदान के लिए अनेको पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, बाल प्रहरी सम्मान, कबीर सम्मान, काव्य श्री सम्मान एवं साहित्य श्री सम्मान अलग अलग संस्था ने प्रदान किया है। उनकी पुस्तके भी कई सारी प्रकाशित हैं। उनका मुक्तक-

मेरे दिल की सदा राजधानी बनो

फूल की ओस कोई सुहानी बनो

मैं उपन्यास लिखने कभी जो चलूँ

उस उपन्यास की तुम कहानी बनो

उनके गीत का लय और प्रवाह मन को मोह लिया, आदरणीय वियोगी जी को सुनकर दिल बाग बाग हो गया। 

आशा है हम उनकी लेखनी और गायकी से मुखातिब होते रहेंगे। पटल पर उपस्थित सभी श्रोताओं ने खूब आनंद उठाया और उनके शब्द लय के संयोजन की तारीफ की, आप का साथ ऐसे ही मिलता रहे आदरणीय और लोग लाभान्वित हो सके काव्य पाठ सुनकर। बस सभी स्वस्थ रहे अपना खयाल रखे कोरोना से खुद बचें और लोगों की मदद करते रहे। 

सरिता त्रिपाठी

लखनऊ, उत्तर प्रदेश

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