मधु अरोड़ा
यह दुनिया एक मुसाफिर खाना ,
इसे भुलाने की कोशिश ना करना।
आए हो घर बेशक दिन रन बिता लो,
यहां कब्जा जमाने की कोशिश ना करना।
तेरे से पहले मुसाफिर आएअनेक,
कमाए खाए खा कर चले गए ।
ना खुद रहे ना कुछ ले कर गए ,
साथ लेकर तुम भी जाने की कोशिश ना करना ।
यह दुनिया एक मुसाफिर खाना ,
इसे भुलाने की कोशिश ना करना ।
यह दुनिया दौलत अमानत प्रभु की,
ना है किसी की ना होगी किसी की।
अपना बनाने की कोशिश ना करना,
यह दुनिया एक मुसाफिर खाना।
राजा रानी गए ज्ञानी ध्यानी गए ,
योगी तपस्वी , औढर दानी गए।
जो आया है उनको जाना पड़ेगा ,
ममता बढ़ाने की कोशिश ना करना ।
यह दुनिया मुसाफिरखाना ,
इसे भुलाने की कोशिश ना करना ।
84 चक्कर में गोता लगाकर,
मुश्किल से यह मानव का तन है मिला ।
यह मौका गंवाने की कोशिश ना करना ।
यह दुनिया एक मुसाफिर खाना ,
इसे भुलाने की कोशिश ना करना।
जिस ने सब कुछ दिया दाता है वह,
उसे भुलाने की कोशिश ना करना ।
छोड़ इस घर को जाओगे यहां से ,
कब्जा जमाने की कोशिश ना करना।।
दिल की कलम से