मुकेश गौतम
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(1)
"सुख में तो भले दूर पर दुःख में हो साथ,
जीवन में हमें यारों ऐसा यार चाहिए
ऊँच नीच भेदभाव सभी से हो सदा दूर,
मन में मिठास वाला हमें मीत चाहिए।।
काम नेक कर सके दर्द पीड़ा हर सके,
अपनें से भी ज्यादा जहाँ विश्वास चाहिए।
बुराई मिटाने वाला चिंताए हटाने वाला,
सैकड़ों की भीड़ नहीं एक खास चाहिए।।1।।
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(2)
"मन जिसे मानता हो अपना सा जानता हो,
मिलके सदा जिससे अच्छा एहसास हो।
अपनी बता दे सब सामने वो आये जब,
दूर हो भले ही पर सदा जैसें पास हो।
हित की बतायें सदा सुपथ जताये सदा,
संगति में रहकर दुर्गुणों का हास हो।
अच्छा आचरण करें सत्य का वरण करें,
संग में सदा जिसके हास परिहास हो।।2।।
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रचनाकार
-मुकेश गौतम
ग्राम डपटा बूंदी(राज)