गीत

विद्या शंकर विद्यार्थी 

जरे गाँव जवार ए भइया मचल हाहाकार बाटे 

कऽरता दरदिया गोहार हो 

खाँसी से खाँसी पाटे जर से पाटे जरवा हो 

लागता टनके कपार हो 


घाम ना लहरिया के हउए ई असरिया हो 

हउए कोरोनवा के मार हो 


केहुए ना ठेकत बउए निष्ठुर चहेता बउए 

धधकता सँउसे बिहार हो 


माई के कोखिंया में जनम दिहलऽ बिधना हो 

अब तूँ बचावऽ ना बिहार हो। 



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