वैशाली सिसोदिया
पार्वती के नाथ,
तुम हो भोलेनाथ, तुम्ही महादेव, तुम्ही त्रिदेव,,,
देवो के देव, महादेव
जटाधारी, भुजंगधारी,
शिरोधरा भागीरथी,
कंठ में धारण वासुकी।
कैलाश में रहने वाले,
शमशान विचरण करने वाले,
नीलकंठ कहलाने वाले,
कभी रौद्र,
कभी शांत,
कभी मौन,
कभी मुखर।
भस्म का चोला,
भांग का गोला,
आग का शोला,
कभी जलता हुआ,
कभी बर्फ सा पिघलता हुआ।
आदि से अंत तक,
नख से शिख तक,
शुरू से आखिर तक,
चारों दिशाओं में,
तीनों लोकों में,
कभी समाधि में,
कभी तांडव में,
आजन्मा हूं, मृत्युंजय हूं,
नश्वर हूं,
" मैं "
शिव हूं, शिव हूं, शिव हूं ।
🙏🙏🌹🌹
वैशाली सिसोदिया
हैदराबाद