सुभाषिनी जोशी 'सुलभ'
दिल का गीत लिखना है मुझे।
मन की बात कहना है मुझे।
दिल पर बोझ है भारी कोई।
कई टीस अन्त: में छुपी।
वही ग़ज़ल पढ़ना है मुझे।
दिल का गीत लिखना है मुझे।
मन की बात कहना है मुझे।
एक प्यास है कहीं अनबुझी।
हैं पहेलियाँ कुछ उलझी हुई।
बस वही छन्द रचना है मुझे।
दिल का गीत लिखना है मुझे।
मन की बात कहना है मुझे।
मेरा कुपित हृदय स्तब्ध है।
बेबस सी कुण्ठाएँ मौन हैं।
विशाल ग्रंथ बनना है मुझे।
दिल का गीत लिखना है मुझे।
मन की बात कहना है मुझे।
सबका बन जाए यह हृदय।
सबके दिल में बस जाए 'सुलभ'
अद्भुत मंत्र बनना है मुझे।
दिल का गीत लिखना है मुझे।
मन की बात कहना है मुझे।
सुभाषिनी जोशी 'सुलभ'
इन्दौर मध्यप्रदेश