मां



आशा सिंह

मां आज अगर तू होती,

मुझे गले लगा जी भर रोती,

निज गुण को मुझमें देख कर,

हर बात पर हंस हंस कर,

हर फिक्र को नजरंदाज कर

मैं भी तो अब हंस लेती हूं।

सब कहते हैं मैं तेरी छाया हूं।

      ‌जब मुझे तू टोका करती थी,

      बाहर निकलने पर रोका करती थी।

       मैं तेरी बातों से झगड़ती थी,

    अच्छी नहीं मैं कहती थी,

ना जाने कब तू समझा गई,

अपनी सब बातें बता गई

अब तेरे जैसा करती हूं,

मैं तेरी छाया हो गई हूं।

आशा सिंह

मोतिहारी पूर्वी चंपारण बिहार

13/05/2021

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