ईद पर मुराद मेरी



अतुल पाठक " धैर्य "

ए खुदा बख़्श दे अब,

कुछ पल सुकूँ के दे रब।


तमाम ज़िन्दगियों को न छीन अब,

मेरी फ़रियाद सुन ले रब।


ज़िन्दगी को एक बार फिर ख़ुशनुमा पैग़ाम दे रब,

जीने की चाहत कम न हो ऐसा कुछ आयाम दे अब।


बग़ैर तेरी रज़ामंदी के भला कभी कुछ हुआ है रब,

इस ईद पर दिली मुराद है मेरी ज़िन्दगी को थोड़ी सी राहत भी दे अब।


रचनाकार-अतुल पाठक " धैर्य "

पता-जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)

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