अंजु दास "गीतांजलि"
आह दिल से जब निकलती खाली भी जाती नहीं
दे रही पैगाम कोई गाली भी आती नहीं।
और कोई भी गिला तुझसे नहीं मेरे माही
चाक दामन तार लेकिन फिर भी रूलाती नहीं।
शाख से पत्ते गिरे थे जब ज़मीं पर सूखकर
कोई डाली पास अपने आज़ बैठाती नहीं।
पास चलकर आए मंजिल तेरे कदमों में साकी
आरज़ू ये दिल की कोई खेल की बाती नहीं।
ज़िन्दगी की रातें अंजू कश्मकश में हैं बिते
इल्म के हैं हाथ खाली फिर भी लौटाती नहीं।
अंजु दास गीतांजलि......✍️ पूर्णियाँ ( बिहार )
सम्पर्क :-
अंजु दास "गीतांजलि"
पति - श्री संजय कुमार दास
शिव शक्ति नगर ,पंचायत भवन
नेवालाल चौक , पूर्णियाँ ( बिहार )
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मोबाइल नं -9471275776
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