जरा हमें बतलाना

 

ऋषि तिवारी"ज्योति"

पूछता हूं

बात एक

संभव हो तो

बतलाना ।


शान्ति मिलेगी

कहां ?? 

धरा पर,

हमें जरा बतलाना ।


दूर भी

होगी तो

जाएंगे ।

भले ही

खाना ना

खाएंगे ।

पैदल या

किसी वाहन से,

अपने सपनों

के साधन से,

उपयोगी एक

युक्ति लगाकर,

मन के

घोड़े को

दौड़ाकर,

सारा कष्ट

उठाएंगे ।

कहां मिलेगी

शान्ति धरा पर,

कोशिश कर

उसको,

खोज निकट

हम लाएंगे ।


न पैसे में

मिली हमें,

न सोने या

चांदी में, ।

न जागीर में

दिखी कभी,

न राजसी 

थाली में ।

कहीं मिली

हो शान्ति

अगर तो,

वह राह

हमें बतलाना।

रहती है

वो कहां,

जरा हमको

भी बतलाना ।।


✍️ ऋषि तिवारी"ज्योति"

चकरी, दरौली, सिवान (बिहार)

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