संघर्ष इसे कहते हैं
पुण्यसलिला भारत भूमि
ये कहानी है संघर्षों की,
सुगम नहीं थी इसकी रक्षा
कितनों ने दी आहुति प्राणों की !!
कुंभलगढ़ की दीवारों से
राणा की आवाजें आती हैं,
हल्दीघाटी की माटी भी
संघर्ष की गाथा गाती है!!
महलों में जन्म लिया मणिकर्णिका ने
नाजों से पल बड़ी हुई,
ललकारा था अंग्रेज हुकूमत को
संघर्ष करते शहीद हुई !!!
भगत सिंह के संघर्षों को
कैसे हम भुला दिया,
भरी जवानी ,चढ़ गए सुली
सुखदेव,राजगुरु ने अपना
सब लूटा दिया !!
उस संघर्ष का पढ़ो इतिहास
मुगलों को जिसने भगा दिया ,
रणभूमि में पड़े अकेले
लेकिन हारा नहीं सिंधुराज !!
एक मंजिल को हम चुनते हैं
पहुंचने को दिन रात कोशिशें करते हैं
अच्छा खाना,महलों में रहना
इसे संघर्ष हम कहते हैं,
ये संघर्ष नहीं ,ये अभिलाषा है
सिर्फ भौतिकता की परिभाषा है!!
मातृभूमि की रक्षा करने
प्राणों को जो देते हैं,
औरों को खातिर जो
सुख अपने भुला देते हैं ,
दोस्तों ,, संघर्ष इसे कहते हैं
संघर्ष इसे ही कहते हैं!!!
मां सरस्वती वंदना
हे ज्ञान मुद्रा , हे ब्रहाम्मनंदा ,स्वागत आपका वसुधा में
सद् बुद्धि, सत्मर्ग, प्रशस्त करो ,स्वागत आपका वसुधा में!!
हे चितरूपा, हे भवप्रीता, आन विराजो आसन में ,
श्रृष्टि को ज्ञानमय कर देती, हर लेती तम अज्ञानी का ,
ये अज्ञानता का बंधन छूटे, मां तेरे आशिषों से,
एक अलख विद्या की जग जाती, मां तेरे वरदानों से !!!
हे ब्रह्मवादिनी, हंसवाहिनी ,वर विद्या का देना मां,
शब्दों को मुखरित कर पाऊं,वाणी में स्वर मैं भर पाऊं,
ना भटकूं मैं मृगतृष्णा में ,भवसागर से तर जाऊं ,
हे महाविद्या , हे कलानिधि ,स्वागत आपका वसुधा में!!!
श्वेत तेरा श्रंगार सजे मां , आंगन महके फूलों से,
दुनिया मेरी खुशहाल करो मां,अपने चरणों की धुलों से,
हर मन का तिमिर मिटा दो मां,अपने आशीष की वर्षा से,
हे सुवासिनी , हे सुर वंदिता, स्वागत आपका वसुधा में!!
कीर्ति चौरसिया
जबलपुर (मध्य प्रदेश)