मायका

 लघु कथा

पूनम शर्मा स्नेहिल

मायका 3 अक्षरों से मिलकर बना शब्द पर एक लड़की के जिंदगी का संपूर्ण अस्तित्व जहांँ से शुरू होता है जिससे अलग होकर भी वह कभी अलग नहीं हो पाती उसे कहते हैं मायका ।


सुकन्या बड़ी नटखट और चुलबुली लड़की थी। शोखीयाँ, शरारत और अल्हड़ पन उसकी निशानी हुआ करते थी। वह अगर शांँत हो जाए तो चीजें सामान्य नहीं रखती थी , क्योंकि सभी को उसकी शरारतों की आदत पड़ चुकी थी।


मांँ बाप की लाडली देखते-देखते बड़ी हो गई। उसकी शादी की तैयारियां चलने लगी ।घर में छोटी- छोटी बात के लिए जिद करने वाली ,अब शांत होती जा रही थी । ना जाने क्यों ? उसे ऐसे लग रहा था ,जैसे उसके अस्तित्व को उखाड़ आ जा रहा है।


इस परिस्थिति में वह समझ नहीं पा रही थी कि वह खुश हो या दुखी। मायका छूटने जा रहा था उसका क्योंकि अब वह ससुराल की होने वाली थी । वह ससुराल जहांँ वह किसी को नहीं जानती थी । अनजान शहर अनजान गली अनजान लोग सभी के बीच अकेली जाकर रहना था उसे।

मांँ बाप की लाडली मायका छोड़ ससुराल के लिए विदा हो चली थी।


ससुराल जाकर उसे पता चला कि उसका डर वास्तव में सही था। वह इन अनजान लोगों को कभी जान ही नहीं पाई ।समय बिता रहा बहुत कोशिश की उसने खुद को उस माहौल में ढालने की परंतु वहांँ के लोग उसे अपनाने के लिए तैयार ही नहीं थे। वह अपने माता-पिता को कुछ भी नहीं कहना चाहती थी , क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी इन बातों से मां पिता परेशान हों।


 जब भी मां-बाप का फोन आता मुस्कुरा कर कहती मैं बहुत अच्छी हूंँ। आप लोग कैसे हैं ? और मां-बाप सोचते कि मेरी बिटिया ससुराल में बहुत सुखी है। समय बिता रहा कुछ समय बाद! 


रक्षाबंधन पर उसे घर बुलाने के लिए भाई ने जिद की। तो पिता के कहने पर मांँ ने ससुराल वालों से बात की, ससुराल वाले ना नुकुल कर रहे थे।


 तो भाई खुद ही राखी बंधवाने सुकन्या के ससुराल अचानक से जा पहुंँचा। किसी को इस बात की खबर भी नहीं थी कि सुकन्या का भाई आने वाला है। अचानक से उसने अपनी बहन की जो स्थिति ससुराल में देखी । उससे वह बहुत दुखी हुआ। उसने अपनी बहन से बात की तो उसकी बहन ने उसे कहा नहीं भाई कुछ नहीं बस थोड़ी तबीयत खराब हो गई है । 

ज्यादा वक्त नहीं लगा उसे यह समझने में कि बहन की तबीयत खराब नहीं बल्कि बहन बहुत कुछ छुपा रही है । उसने ससुराल वालों पर दबाव बनाकर बहन को वापस घर ले जाने की अनुमति मांँगी । जब वह सुकन्या को लेकर घर पहुंँचा तो पता चला घर में सभी बहुत खुश है । परंतु जब सुकन्या के भाई ने घरवालों को सारी बात बताई। तो सुकन्या के पिता ने कहा ! बेटी तुमने इतना सब कुछ क्यों बर्दाश्त किया ? तुम्हें पहले ही हमें बताना चाहिए था ।


सुकन्या ने जवाब दिया पिताजी मेरी तो शादी हो गई थी । अब यह घर समाज की रीतियों के अनुसार मेरे लिए पराया हो गया था। फिर किस मुंँह से मैं आपसे यह कहती कि मुझे वहांँ तकलीफ है, ना तो वह घर मेरा अपना ,ना यह।


 समझ नहीं पा रही क्या करूंँ तभी माँ ने कहा बेटी तूने यह सोच भी कैसे लिया कि जिस आंँगन में तू पली बढ़ी है वह तेरे लिए पराया हो गया। दुनिया की रीत को हम बदल नहीं सकते इसलिए बेटियांँ ब्याहनीं पड़ती है, परंतु यह मायका कल भी तेरा था ।आज भी तेरा है ।और कल भी तेरा ही रहेगा। यह सुन सुकन्या मांँ के गले लिपट कर जोर जोर से रोने लगी।।


धन्यवाद

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