मेरे संग संग चलने लगी

 

सुशील कुमार भोला  

न तुम मेरी किसी कविता में 

न मेरी किसी कथा में थी 

न जाने कब तुम मेरी कहानी बन

मेरे संग संग चलने लगी 


तुम्हारी दूर लम्बी ड्राइव पर जाने की इच्छा 

इस दुनिया से अलग दूसरी दुनिया की चाहत 

मैंने भी तुम्हारे ख्याल को

अपने ख्याल में शामिल कर लिया 


मैं जिस्म से अलग रूह तलाशता रहा 

और तुम अपना जिस्म ले

किसी और की कहानी में चली गई 


तुम्हारी दूर जाने की इच्छा 

तुम्हें बहुत दूर ले गई मुझसे 

जिन मेरी कविताओं को तुमने अपना कहा था 

मैं उनमें तुम्हारा अस्तित्व ढूँढता रहा 


न तुम पहले थी

न बाद में मिलोगी 

एक वादा 

अपनी कहानी से कर लिया है ..


🌻सुशील कुमार भोला  

                         जम्मू

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