डॉ0 अशोक "गुलशन"
महामारी की पड़ी है मार कोई क्या करे,
है मचा चहुँओर हाहाकार कोई क्या करे।
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आदमी पड़ने लगे बीमार कोई क्या करे,
मर्ज़ का मुश्किल लगे उपचार कोई क्या करे।
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शोक में डूबा हुआ संसार कोई क्या करे,
हो गया जीना बहुत दुश्वार कोई क्या करे।
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हाथ सारे हो गये बेकार कोई क्या करे,
हर किसी ने मान ली है हार कोई क्या करे।
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हैं सभी बेबस और लाचार कोई क्या करे,
हो गये रिश्ते सभी बेकार कोई क्या करे।
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नाक-मुँह ढककर घरों में हैं सभी दुबके हुये,
है मदद के वास्ते सरकार कोई क्या करे।
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आजकल हर आदमी की ज़िन्दगी संकट में है,
कीजिये प्रभु आप ही उपकार कोई क्या करे।
- डॉ0 अशोक "गुलशन"
उत्तरी क़ानूनगोपुरा
बहराइच (उत्तर प्रदेश)