कवियित्रीआराधना प्रियदर्शनी की रचनाएं

 


मतदान


एक कदम है, एक पहल है,


जिससे जुड़ा समाज का निर्माण है,


अपनी हस्ती का प्रमाण,


अपने देश का सम्मान है।



अवगत कराता है आपको,


आपके अस्तित्व आपकी पहचान से,


देश की उन्नति की एक डोरी,


जुड़ी होती है मतदान से।



सच्ची नागरिकता का एक अहम पड़ाव,


देश सेवा का अद्भुत ज्ञान है,


आपसे आपका ही परिचय करवाए जो,


वह अपूर्व माध्यम मतदान है। 



लोकतंत्र को पुख्ता कर,


भेदभाव से मुक्त आवाम करें,


तोड़कर हर ऊंच-नीच की दीवार,


आओ हम मतदान करें।


प्रेम


मिलन की खुशी में छलके जो,


अपनों से मिलकर उमड़े जो,


                       वह प्रेम है।



विरह की पीड़ा में तड़पे जो,


आंसू बनकर फिर बरसे जो,


                       वह प्रेम है।



 पिता के वात्सल्य में झलके जो,


 मां की ममता में पनपे जो,


                       वह प्रेम है।



कृष्ण के अधरों पर बंसी जो,


राधा की पवित्रता व मन सी जो,


                          वह प्रेम है।



 श्री राम की सुख विरक्ति में जो,


 हनुमान की पावन भक्ति में जो,


                          वह प्रेम है।



कुटुंब के संपूर्ण संगम में जो,


भाई बहन के रक्षाबंधन में जो,


                          वह प्रेम है।



बच्चों की किलकारी में जो,


त्योहारों की तैयारी में जो,


                       वह प्रेम है।



शादी विवाह के उत्साह में जो,


अपनों की चिंता परवाह में जो,


                       वह प्रेम है।



 देशभक्ति के एहसास में जो,


 पति-पत्नी के विश्वास में जो,


                         वह प्रेम है।



सिपाहियों के सम्मान जो,


शहीदों के बलिदान में जो,


                        वह प्रेम है।



उम्मीदों का सागर है जो,


मृदुल भावनाओं की लेनदेन है,


सृजन की सुंदरता में जो,


कहते उसे ही प्रेम है।


आराधना प्रियदर्शनी

स्वरचित एवं मौलिक 

बेंगलुरु 

कर्नाटक

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