इंसान इंसान से घृणा करता हैं यहां,
व्यवहार इंसानियत का तूने अजब कर दिया ||
वाह रे इंसान तुमने गजब कर दिया ||
जाति धर्म में सबको बांटकर तूने,
अलग-अलग सबका मजहब कर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||
साथ साथ परिवार में खुश रहते थे सभी,
अलग अलग सबका तूने घर कर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||
आग लगाकर घर में किसी के,
घर से उसे बेघर कर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||
छोटी छोटी बस्ती हुआ करती थी कभी,
उन बस्तियों का तूने नगर कर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||
जन्म नाम घर दिया जिसने,
उन्हीं मां-बाप को तूने दरबदर कर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||
जिंदा रहने पर तूने कदर ना की कभी भी,
मरने के बाद रो-रो घर भर दिया ||
वाह रे इंसान तूने गजब कर दिया||
-वीरेंद्र सागर
-शिवपुरी मध्य प्रदेश