कवियत्री नंदिनी लहेजा की रचनाएं

 

रौशनाई

कलम की आत्मा हूँ में ,जिससे चलती उसकी लिखाई 

कोई कहे रोशनाई मुझको,कोई कहता है स्याही 


दिया-बाती सा नाता हमारा,इक दूजे बिन अधूरे 

कलम में जब भर जाती हूँ, करती काम मैं पूरे 

बिन कलम मेरा अस्तित्व अर्थहीन सा

,बिन मेरे कलम ना काम की 

पर जब मिल जाते हम दोनों

,माँ शारदे इनमें समाती 

लाल,नीली,काली विवध रंगो से मैं रंगाई 

कोरे कागज पर कलम लिखती सुंदर लिखाई 

हम दोनों का संग कवि,लेखक को लगता बड़ा ही प्यारा 

हमको समझे सदा मित्र अपना,

भावों को मन के प्रकट कोरे कागज़ पर करता 

जो कुछ भी मन उसके रहता 

बहन भाई का नाता 


अलग अलग रिश्ते नातों के रंगो से

सरोबर है ये संसार

होती कभी नोक.झोंक तो,कभी दिखता

इनमें हमें बेइंतिहां प्यार

परिवार है गर इक माला तो

रिश्ते इसके मोती

प्रेम विश्वास और अपनेपन को

डोर इन्हें बांधे रखती

इसी माला के दो मोती होते है बहन भाई

संग पले बढे इक घर में कभी बरसा प्रेम तो कभी हुई लड़ाई

सच में कितना सुंदर कितना प्यारा

होता रिश्ता भाई बहन का

बहन रखती सदा ख्याल भाई का

और भाई देता वचन रक्षा का

राखी की पावन डोर इन्हे सदा ही बांधे रखती

भाई दूज के टीके से प्रगाढ़ता और है बढ़ती

रोता है भाई का मन ,जब बहन विदा होकर जाती है

संग बितायी यादें बचपन की आँखों के सन्मुख होती है

डोली जब उठती बहना की कहता प्यारा भाई

तेरा भाई सदा संग तेरे भले हुई तेरी बिदाई

बहन भी नाचती ढोल बजा ती भाई की बारात में

सोचती माँ सम पाऊँगी भाभी के रूप में

सदा दुआएं देती बहना अपने भैया भाभी को

मायका सदा खुशहाल रहे सदा प्रार्थना करती रब को


नंदिनी लहेजा

रायपुर(छत्तीसगढ़)

स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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