सांसों को तुम महका जाओं
खुशी के आंसू छलका जाओ
ख्वाबों की ख्वाहिशें हो पूरी
अधरों पर हंसी लौटा जाओ ।।
पायल में खनक दिला जाओ
ये आग जिया़ की बुझा जाओ
तन - मन मेरा नहीं है वश में
तुम वश में करने आ जाओं ।।
जब फूलों की बारिश हो नूरी
जब होनें लगे हर शाम सिंदूरी
हवा भी बहके होकर अंगूरी
तन्हाई को मेरे मिटा जाओ ।।
तुम मुझमें आज भी हकीकत हो
और आंखों में छिपी शरारत हो
झूकी पलकों में झूठी इंकार हो
मेरी झूठी नफरत झूठला जाओं।।
मेरी ना को हां समझ लेना तुम
तुम प्रेम हमारा जतला जाओं
आंखों में छिपी शरारत है जो
इस उलझन को सुलझा जाओ ।।
व्यथा दिल की तुम्हें क्या सुनाऊं
पतझड़ को बसंत बना जाओ
मिलन हमारा हैं आधा अधूरा
मिलन के गीत तुम सुना जाओं
प्रिय !बस एक बार तुम आ जाओ ।।
सुनीता जौहरी
वाराणसी उत्तर प्रदेश