सुनीता जौहरी
आज बिखरे से पन्नों पर कुछ शब्द
मेरे हृदयांतल को स्पंदित कर रही
मानों मेरे ख्यालों में खिलने आ रही
या शायद एहसास से मिलने आ रही
हां !शब्द तो हर एहसास का मोती है
आज दिल की ज़मीन पर बिखर रही
शब्द वह भाव है पास से गुजर रही
क्या बतलाऊं क्या-क्या उकेरती रही
शब्द शैलियों में संजती संवरती गई
शब्द तो अपने में ही सार्थक होती रही
वह इतिहास के पन्नों में बनती ,बिगड़ती
हंसती रोती गुनगुनाती अमोल बनती रही ।।
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सुनीता जौहरी
वाराणसी उत्तर प्रदेश