कवि कमलाकर त्रिपाठी की रचनाएं


समय

------

समय अनमोल है जीवनमें,

यों-ही व्यर्थ न जाने दें,

उपयोग - उपभोग करें सदा,

इसे धन्य - कृतार्थ होने दें, 

इसे धन्य - कृतार्थ होने दें, 

पुनः लौटकर न आता समय, 

कहते 'कमलाकर' हैं यथार्थ, 

अति बलवान होता है समय।। 

    

प्रणब

------

हिय में रखकर प्रणव शब्द,

नित्यप्रति करें ध्यान,

सुख-शांति मिलेगी निश्चित,

स्वतः मिलेगा सम्यक ज्ञान,

स्वतः मिलेगा सम्यक ज्ञान,

जीवन जीवट रहैगा सक्रिय,

कहते 'कमलाकर' हैं सर्वदा,

भरपूरआनंदित रहेगा हिय।।

   

 सहजता

---------

सरल - सहज जीवनशैली, 

सदा सरस - सुखप्रद होती है,

औ खिन्नता न रखती कभी,

आजीवन हितकर होती है,

आजीवन हितकर होती है, 

जीवन, दिनचर्या रखें सरल, 

कहते 'कमलाकर' हैं सहजता, 

जीवन बनाती सहज-सरल।।

      

 प्रकृति 

--------

प्रकृति हमारी है जीवन साथी,

इसके अंक में हम सब पलते,

संग निभाती जीवंत जीवन,

दुःख-सुख सब संग-संग सहते,

दुःख-सुख सब संग-संग सहते,

है प्राणाधार हमारी प्रकृति,

कहते 'कमलाकर' हैं सचही,

सृष्टि का आधार है प्रकृति।।

        

क्रोध 

------

क्रोध - मद वैरी हैं अपने,

ये सुख-शांति से न रहने देते,

हैंअसंतुलित रखतेआजीवन,

औ सुखकी नींद न सोने देते,

सुखकी नींद न सोने देते,

है पाप-ताप की मूल क्रोध,

कहते 'कमलाकर' हैं सर्वदा,

दूर रखिए अपने से क्रोध।।

    

कवि कमलाकर त्रिपाठी.

Popular posts
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
परिणय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
सफेद दूब-
Image
दि ग्राम टुडे न्यूज पोर्टल पर लाइव हैं यमुनानगर हरियाणा से कवियत्री सीमा कौशल
Image