समय
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समय अनमोल है जीवनमें,
यों-ही व्यर्थ न जाने दें,
उपयोग - उपभोग करें सदा,
इसे धन्य - कृतार्थ होने दें,
इसे धन्य - कृतार्थ होने दें,
पुनः लौटकर न आता समय,
कहते 'कमलाकर' हैं यथार्थ,
अति बलवान होता है समय।।
प्रणब
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हिय में रखकर प्रणव शब्द,
नित्यप्रति करें ध्यान,
सुख-शांति मिलेगी निश्चित,
स्वतः मिलेगा सम्यक ज्ञान,
स्वतः मिलेगा सम्यक ज्ञान,
जीवन जीवट रहैगा सक्रिय,
कहते 'कमलाकर' हैं सर्वदा,
भरपूरआनंदित रहेगा हिय।।
सहजता
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सरल - सहज जीवनशैली,
सदा सरस - सुखप्रद होती है,
औ खिन्नता न रखती कभी,
आजीवन हितकर होती है,
आजीवन हितकर होती है,
जीवन, दिनचर्या रखें सरल,
कहते 'कमलाकर' हैं सहजता,
जीवन बनाती सहज-सरल।।
प्रकृति
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प्रकृति हमारी है जीवन साथी,
इसके अंक में हम सब पलते,
संग निभाती जीवंत जीवन,
दुःख-सुख सब संग-संग सहते,
दुःख-सुख सब संग-संग सहते,
है प्राणाधार हमारी प्रकृति,
कहते 'कमलाकर' हैं सचही,
सृष्टि का आधार है प्रकृति।।
क्रोध
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क्रोध - मद वैरी हैं अपने,
ये सुख-शांति से न रहने देते,
हैंअसंतुलित रखतेआजीवन,
औ सुखकी नींद न सोने देते,
सुखकी नींद न सोने देते,
है पाप-ताप की मूल क्रोध,
कहते 'कमलाकर' हैं सर्वदा,
दूर रखिए अपने से क्रोध।।
कवि कमलाकर त्रिपाठी.