विमल सागर
सुरमय पंक्षी मीठे सुरलय भोर
कोयल मीठे सुर कानों देती
कली खिलेगी महकेगी बेला
नृप नरेश ले रवि रश्मि सजी,
राजेन्द्र उगे सूरज स्मृति भूप हो
स्फुटित किरण कुंज विचरण कुसुम रानी सी,
तीन दिवस तीन लोग बहस ले
इन्द्र राज नीले बन शिवजी,
आग अनिल पावक धहकती
माह दुपहरी बैसाख जेठ रही
चमन महक फूलों उद्यानम्
सोच सिंचित उपवन महक बनी
कुसुम क्यारी क्यारी पुलकित
अंकुरित अंशू बेला सजती
अनुपम छटा राजीव सरोवर
अनुपम दृश्य सौरभ खुशबू सी
भूल गये भुवनेश्वर देवी को
प्रीति राग जय शंखनाद रही
बिगुल कर दो नैयन प्रीति के
मोहित गुंजन धुन सजती,
रहनुमा सबके चंदा रात्रि
निशा तिमिर चन्दा मामा हरे
प्रशांत चित्त मन बेला लेकर
मामा शीतलता सोहम सोच रही,
लता लिपटआलिंगन करती
नवीन नूतन कलियाँ खिलतीं
प्रकाश पुंज तेज प्रताप से राजा
ह्दय राग धड़कन प्रीति सलौनी सी,
लोक दिशाओं मोती गजेंद्र मस्तक
ऊषाकाल उपस्थिति उन्माद रही
चेहरे सबके हर्षति करती
राम राज्य भूप बने सियापति की,
राम भक्त आय के लंका फूंकी
सीता अनुराग प्रीति विलेपन सी
राम अनुज सुरभित सुगंधित करें
विमल राग शीतल कंठ करती,
कल-कल बहती धारा ले सरिता
सीता निष्कासित राम अयोध्या
प्रण पूरति दहन कर रावण का
इन सबके राजा श्रीराम जी,
हस्त कलम ले विमल रचित पद्य
समझौता कवि शब्द सुगंध काव्य करी
राम रहे राजा सब सोचत
राजेन्द्र छटा राजा रवि हो
प्रकाश पुंज सोच नूतन रोचि।।
विमल सागर
बुलन्दशहर
उत्तर प्रदेश