मेजर शैतान सिंह भाटी

 

मनु प्रताप सिंह

मातृभूमि के हरावल हैं,

मेरा गर्वीला राजस्थान।

मिला शैतान की शहादत से,

परमवीर का सम्मान।।


सन बासठ में चीनी से,

भारत का भयंकर रण छिड़ा।

सीमा प्रहरी की हुँकारो से,

सिंह छाती पर जा चढ़ा।।


पलायन का पहुँचा संदेशा,

हारकर चले जाने को।

किन्तु कृष्ण वँशज नहीं जन्मा,

पीछे हट जाने को।।


बाकियों को भेजो सुरक्षा में,

मैं चीनियों का सर्वनाश करूँगा।

ढ़ाई शाकों के कुल का हूँ वँशज,,

विमुख से अच्छा यही मरूँगा।।


महायुद्धों का नेतृत्व-कर्ता,

मेरा हठीला राजस्थान।

मिला शैतान के पराक्रम से,,

वीरता का उच्च सम्मान।1।


भारत मे चीनी घुसपैठ से,

शैतान की जली क्रोध-अग्नि।

परमवीर के साहस-शौर्य से,,

हुए भाग खड़े अवनि।।


गोलियों से लहूलुहान वीर ने,

मृत्यु का वरण कर लिया।

इधर सिसकती भारत माता ने,

आँचल में पुत्र को सुला लिया।।


देश के रखवाले युगकारी ने,

अरियों से डटकर समर किया।

शैतान सिंह के बलिदान ने,

राष्ट्र-कुल को सदैव अमर किया।।


शहादत का अभिमान रखता,

मेरा अनूठा राजस्थान।

अंतिम ध्येय वीरगति से,,

मेजर शैतान बने महान।2।


मनु प्रताप सिंह

 चींचडौली,खेतड़ी

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