आज नहीं तो कल मिल ही जाएँगे।
दिलों की दूरियों को हम मिटाएँगे।
हम सब के मन में प्रीत होगी।
तभी सच्चाई की जीत होगी।
गर दिलों में इच्छाशक्ति होगी,
तब तो हम आगे बढ़ पाएँगे।
आज नहीं तो कल मिल ही जाएँगे।
दिलों की दूरियों को हम मिटाएँगे।
मानव को मानवता से जीतें।
प्रेम बेल सहृदयता से सींचे।
स्नेह का पुष्प पल्लवित होगा,
तभी स्नेहासक्त फल खाएँगे।
आज नहीं तो कल मिल ही जाएँगे।
दिलों की दूरियों को हम मिटाएँगे।
आएगा स्वर्णिम सवेरा वहाँ ।
कलुषित काली रात है जहाँ।
हर एक बंजर जमीन पर हम।
माणिक रत्न मणियाँ उगाएँगे।
आज नहीं तो कल मिल ही जाएँगे।
दिलों की दूरियों को हम मिटाएँगे।
सुभाषिनी जोशी 'सुलभ'
इन्दौर मध्यप्रदेश