लघुकथा
वीरेन्द्र बहादुर सिंह
"लक्ष्मी तो एक मोहमाया है। पैसा आज है कल नहीं। स्वामीजी ने पिछले 50 सालों से एक रुपिया को भी हाथ नहीं लगाया है।" सेवक भक्तों को स्वामीजी के उच्च विचारों के बारे में समझा रहा था। तभी एक भक्त ने आ कर स्वामीजी के चरणों में एक लाख रुपए का चेक रख दिया।
स्वामीजी ने प्रेम से कहा, "यह तो ईश्वर का प्रसाद है। यह सब उसी की कृपा है। इस लक्ष्मी को ठाकुरजी के चरणों में रख दो। बाकी हम संत तो भाव के भूखे हैं। हमारे लिए तो पैसा हाथ का मैल है।"
भक्त के चेक रखते ही सेवक ने ठाकुरजी का प्रसाद मान कर दोनों हाथ जोड़ कर प्रणाम किया और उसे उठा कर संभाल कर जेब में रख लिया।
वीरेन्द्र बहादुर सिंह
जेड-536ए, सेक्टर-12,
नोएडा-201301 (उ0प्र0)
मो-8368681336
virendra4mk@gmail.com