ग़ज़ल








साधना कृष्ण

आँख तो मिल गयी फासला रह गया।

अनकही बात का सिलसिला रह गया।।



रोज मिलते मिलाते रहे हम मगर।


फिर कहो क्यों शिकवा गिला रह गया।।


पूजते थे नदी को त्योहार पर।

दह गयी देह बस काबिला रह गया।।


कह सके अलविदा हम कहाँ यार को।

जो हिला हाथ मेरा हिला रह गया।।


सौंपकर दिल की जागीर खुश तो हुए।

नाम मिटते गये बस किला रह गया।।


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
पीहू को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
ठाकुर  की रखैल
Image
कोरोना की जंग में वास्तव हीरो  हैं लैब टेक्नीशियन
Image