सत्य की चर्चा जब-जब आवे,
हरिश्चंद्र का नाम लियावे ।
सूर्यवंशी, सत्यनिष्ठ सुपुत्र,
सुंदर सत्य का प्रतीक विचित्र ।
सुनी प्रसिद्धि राजा हरिश्चंद्र की जब,
लीनि परीक्षा ऋषि विश्वामित्र तब।
सत्य निष्ठा में अद्वितीय रहे ,
तिस कारण नित कष्ट सहे ।
पत्नी -पुत्र को बेच रहे ,
सत्य के मार्ग पर अटल रहे ।
राजा होकर शवदाह किया,
पुत्र के शव का कर मांग लिया ।
एकादशी व्रत तब कांप दिया,
दीनी परीक्षा जग ताप लिया ।
राज-पाट तब वापिस पाये,
इतिहास में सत्य अमर कराये ।
सत्यवादी नाम तब पावै ,
सत्य कुंदन सा घोर तपावै ।
अंत में सत्य ही जीत जावै,
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् कहावै ।
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सुनीता जौहरी
वाराणसी,उत्तर प्रदेश
स्वरचित व मौलिक