मधु अरोड़ा
अंकित अंकित अमन ने पुकारा। अमन ने कहा जल्दी आओ। अंकित स्कूल को देर हो रहा है ।हमें इतनी दूर पैदल जाना है ।अंकित बस्ता उठाते हुए बोला आ रहा हूं ,1 मिनट रुको आ गया बस अंकित तेजी से बाहर आ गया ।बोला चलो चलते हैं ।दोनों स्कूल के लिए चल दिए रास्ते भर दोनों बातें करते रहे उनका स्कूल घर से आधे घंटे की दूरी पर है। दोनों ने स्कूल में जाकर अच्छे से पढ़ाई की वापस आते हुए अमन बोला ,यार रोज इतनी दूर आते जाते मैं बहुत थक जाता हूं । मैं घर आकर ठीक से पढ़ भी नहीं पाता।अंकित। बोला कोई बात नहीं इतनी दूर आने के बाद हमें इतनी अच्छी शिक्षा मिलती है। तो क्या हुआ अमन बोला मैं अपने पिताजी से बात करता हूं अगर वह हमें साइकिल दिलवा देंगे, तो हमारा आने जाने का काम आसान हो जाएगा ।और हम थोड़ा जल्दी पहुंच जाएंगे ।अंकित खुशी से "पापा से बात करके देख लो "घर आकर अमन ने अपने पापा से कहा पापा स्कूल बहुत दूर है क्या आप मुझे एक साइकिल दिलवा सकते हो जिससे मेरा आने जाने का काम आसान हो जाएगा? पापा ने कहा "बेटा बाहर बरामदे में मेरी पुरानी साइकिल रखी है, तुम वह ले सकते हो ।"अमन खुश हो गया उसने उस साइकिल को अच्छी तरह झाड़ पहुंचकर धोकर साफ किया ।और अगले दिन अमन और अंकित साइकिल पर स्कूल के लिए चल देते है ।साइकिल पुरानी होने के कारण धीरे-धीरे चल रही थी। अमन बोला मेरे पापा कितने कंजूस है वह एक नई साइकिल भी नहीं दिला सकते कैसे चल रही है यह साइकिल। तभी थोड़ी दूर जाकर उनकी साइकिल खराब हो जाती है। दोनों बहुत कोशिश करते है।
पर वह साइकिल आगे नहीं चल पा रही थी उन्हें समझ नहीं आ रहा था ।कि आखिर साइकिल को हुआ क्या है? तभी उन्हें एक बहुत बूढ़ी औरत दिखाई दी। ऐसा लग रहा था जैसे उसने काफी समय से कुछ खाना नहीं खाया है वह बहुत कमजोर लग रही थी। उससे ढंग से चला भी नहीं जा रहा था अंकित बोला ये अम्मा कितनी कमजोर लग रही है। ऐसा लग रहा है जैसे उन्होंने काफी दिनों से कुछ नहीं खाया मैं इन्हें अपना टिफन दे आता हूं। अमन बोला मेरा भी ले जाओ ।दोनों अपना टिफन अम्मा को दे आए उनकी साइकिल फिर चलती वह स्कूल पहुंचे अब उस अम्मा को रोज टिफन देना उनका नियम हो गया था। वह रोज अपना टिफन उसके घर के घर के बाहर रख देते ऐसे ही करते हुए कुछ टाइम बीत गया 1 दिन फिर उनकी साइकिल उसके घर के पास खराब हो गई। तभी अम्मा घर के बाहर निकली "रुको कहां जा रहे हो ?अंकित घबरा गया बोला यह तो बहुत कठोर दिख रही है "अमन बोला रुको मैं बात करता हूं अम्मा के पास गया बोला जी अम्मा जी! अम्मा बोली तुम ही वह बच्चे हो ना जो रोज अपना खाना मेरे पास रख जाते हो मैं तुम्हें काफी दिनों से देख रही हूं तब तो। मै बिल्कुल चल ही नहीं पाती थी अब मैं काफी स्वस्थ हो गई हूं। बोलो मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूं। वह दोनों बोले अम्मा जी आप हमारी क्या मदद करेंगे आप तो खुद इतनी बुजुर्ग हैं। अम्मा बोली रुको मैं तुम्हें बताती हूं इतने में अंदर से एक जादुई छड़ी लेकर आई और उसकी साइकिल के पास घुमा दी।
उन्होंने देखा उनकी साइकिल नीले रंग की हो गई थी और वह ऊपर की ओर उड़ रही थी मैं आश्चर्य से देखते रहे थोड़ी देर में साइकिल वापस नीचे आ गई। अम्मा बोली अब यह तुम्हारी साइकिल उड़ भी सकती है ।और चल भी सकती है जब तुम्हें जैसी जरूरत लगे तब तुम वैसे कर सकते हो। मैं तुम्हारे व्यवहार से बहुत प्रसन्न हूं ।यह देखकर दोनों बच्चे बहुत खुश हुए और वह खुशी-खुशी स्कूल पहुंचे ।अब किसी को भी उनकी मदद की जरूरत होती तो वह साइकिल से सबकी मदद कर देते।वह किसी के किसी काम को मना नहीं करते ।लोग उन्हें साइकिल वाला देवता कहकर पुकारने लगे थे दोनों बच्चे बहुत खुश थे।।
दिल की कलम से