डॉ मंजु सैनी
चाँदनी रात में
कमी सिर्फ मेरे
चाँद की...
देखो शरद पूर्णिमा की
सुहानी सी बादामी सी इस रात में
मैं हूँ नितांत अकेली सी बस
मैं अपने प्रिय...
चांद को देख रही हूँ बस अकेली ही
निहार रही हूँ बस बेबस सी नजरो से
न जाने क्यों आज तुम्हारी ...
जरूरत सी क्यो महसूस हो रही है..?
चाँदनी रात में
कमी सिर्फ मेरे
चाँद की...
मेरा प्यार सा चांद जो होता है मेरे पास
'तुम-सा' सिर्फ तुम-सा...
मेरे साथ ओर सिर्फ मुझे ही देखता
मुझे ही सुनता, बस मुझे ही...
मेरा चांद याद आता हैं आज न जाने क्यों..?
मेरे चाँद सिर्फ तुम याद आये
तुम्हारी कमी सी खलती हैं
इस पूर्णिमा की चांदनी में
चाँदनी रात में
कमी सिर्फ मेरे
चाँद की...
"मंजु" को उसके चाँद की
,डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद