दोपहर

विनोद कुमार पाण्डेय

चिलचिलाती धूप थी,

था दोपहर,

पीछे से आवाज आई,

पथिक अभी है तेज धूप,

आओ, थोड़ा जा ठहर,

अभी है दोपहर।

धूप का है कहर।

मुड़ कर देखा,

कोई नहीं दिखा।

दिखा केवल एक छायादार पेड़,

मन बनाया ठहर जाऊं थोड़ी देर।

सिर उठाया,

पक्षी को फुदकते पाया।

देखा छोटे-बड़े पक्षियों का अद्भुत मेल,

हर पल प्रफुल्लित हो खेल रहे थे

तरह-तरह के खेल।

पेड़ पर दिखा अद्भुत संसार,

समझ में आई यह बात

हमें भी परिवार में,

हंसते-हंसाते बांटना है प्यार।


विनोद कुमार पाण्डेय

     शिक्षक

 (रा०हाई स्कूल लिब्बरहेड़ी, हरिद्वार)

    ----

Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
प्रेरक प्रसंग : मानवता का गुण
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image