संस्कार

बलवान सिंह कुंडू

राजेश एक सरकारी स्कूल में अध्यापक था और उसकी पत्नी अस्पताल में नर्स। दोनों ने शादी के तुरंत बाद निर्णय कर लिया था कि उनकी एक ही सन्तान होगी चाहे वह लड़का हो या लड़की। सौभाग्य से एक साल बाद ही उन्हें एक कन्या की प्राप्ति हुई। उसका नाम नाज रखा गया। दंपति बेटी को बड़े लाड़ -प्यार से पालते और उसकी हर इच्छा पर कुर्बान होते। नाज थोड़ी- सी भी बीमार पड़ जाती तो दोनों रात- रात भर जागते। नाज घर में सबकी चहेती थी। बड़ी हुई तो वहीं शहर में बी कॉम में दाखिला लिया। मां अपनी प्यारी बेटी को घर- गृहस्थी संभालने की शिक्षा देने लगी। वह उससे एकाध बार खाना बनवाती और घर के रुपए- पैसे, गहने- जेवर इत्यादि उसी से रखवाती। जब तक बेटी घर न आ जाती तो वे तब तक खाना नहीं खाते। उसके आने के बाद सब इकट्ठे खाते। एक दिन बहुत इंतजार के बाद भी बेटी घर नहीं आई। दोनों नाज के साथ किसी अनहोनी की आशंका से डर रहे थे। चिंतित दंपति ने उसकी सहेलियों को फोन किया तो पता चला कि वह आज सुबह कॉलेज नहीं आई थी। माता- पिता के पैरों तले की जमीन खिसक गई। भागे- भागे पुलिस थाने गए और गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। पूरी रात बीत गई पर अभी तक नाज का कोई अता- पता नहीं था। अगले दिन दोपहर को थाने से फोन आया और दंपति को वहीं आने को कहा। थाने पहुंचने पर थानेदार ने बताया कि आपकी बेटी का पता चल गया है। कल आपकी बेटी ने कोर्ट में शादी कर ली है और कोर्ट से पुलिस कस्टडी मांगी है। वह यहां के सेफ- हाउस में है। आपने अपने रूपए- पैसे संभाले हैं क्या? लड़की अपने पास कई तोले जेवरात और ढाई लाख रुपए लिए हुए है। शायद यह सब आपका ही होगा क्योंकि लड़का तो एक बेरोजगार आवारा किस्म का है। उसके पास इतना कुछ नहीं होगा। उस पर पहले ही छेड़खानी व मारपीट के दो- तीन मुक़दमे दर्ज हैं। पिता बोला- लेकिन मेरी बेटी ने पुलिस कस्टडी क्यों ली है? उसको किससे डर है? थानेदार बोला- आपसे, लड़की ने अपने माता- पिता से जान का खतरा बताया है। दंपति सन्न रह गए, लगा जैसे आसमान से बिजली गिर गई हो। मां तो वहीं थाने में चक्कर खा कर गिर गई परंतु पिता ने जैसे- तैसे अपने को संभाला। पिता बोला- उनका सब कुछ बेटी ही तो है, उसको हमसे क्या खतरा। थानेदार बोला - ओर तो कुछ नहीं हो सकता , आप चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवा देंगे तो आपके रुपए और गहने कोर्ट से दिलवा सकेंगे। पिता थोड़ी देर में होश संभाल कर थानेदार के आगे हाथ जोड़कर बोला- आप एक बार हमारी बेटी से मिलने तो दें, जरूर उसे उस लड़के ने बहकाया होगा , वह नादान है ,उसे जिन्दगी बारे कुछ समझ नहीं है । थानेदार ने एक सिपाही लड़की से उसके मां- बाप से मिलने की इच्छा जानने को भेजा। थोड़ी देर में सिपाही आकर बोला- जनाब, वह इनसे मिलना नहीं चाहती। वह कह रही है कि इनसे उसको जान का खतरा है। परंतु दंपति बार- बार थानेदार से एक बार बेटी से मिलाने की प्रार्थना करते रहे। वे कह रहे थे, हम तो थाने में भी पहली बार ही आए हैं, उनसे उसको क्या डर? कई बार मना करने के बाद थानेदार ने उनके साथ अपने दो सिपाही भेजे और उन्हें मिलने दिया। माता- पिता ने बेटी के पास जाते कहा- तू एक बार कह के तो देखती, जहां कहती हम वहीं तेरी शादी कर देते, कम से कम समाज की बदनामी से तो बच जाते। पिता ने उस लड़के की सच्चाई बेटी के सामने बताते हुए कहा कि इसका तो काम ही तुम जैसी को फंसाना था, तुम नहीं होती तो कोई ओर होती। ये प्रेम नहीं ,प्रेमजाल है, धोखा है। तेरा और इसका कोई मेल भी नहीं , इसने केवल मैट्रिक किया हुआ है। तू इसके साथ कैसे रह सकेगी? लड़का बार- बार इशारे से नाज को समझा रहा था कि वह बिल्कुल भी न माने । वे उसे यहां से नहीं ले जा सकते।साथ में वह दंपति की ओर व्यंग्य भरी हंसी से मुस्करा रहा था। दंपति ने थक- हारकर बेटी के पैर पकड़ लिए और कहा- वह उसे कुछ नहीं कहेंगे, उसके सिवाय उनका है भी कौन? एक बार हमारे साथ घर तो चल, तेरी इसी लड़के से शादी कर देगें। कम से कम समाज में हमारी नाक कटने से तो बच जाएगी। तू हमारी बेटी है, तुझे हमसे क्या डर? परंतु बेटी ओर भी कठोर होती जा रही थी। वह पुलिस के सामने अपने माता- पिता को अपना दुश्मन बता कर उनसे अपनी जान का खतरा बता उन्हें वहां से ले जाने को कह रही थी। पति- पत्नी रोते- रोते घर आ गए। घर आते ही पिता ने बेटी के दीवारों पर टंगे सारे फोटो और एलबम एक- एक करके जला दिए। पिता को फोटो जलाते समय लग रहा था जैसे वह अपने सारे अरमान जला रहा हो। पत्नी ने एक फोटो अपने हाथ में ले ली। जिसमें नाज दो साल की थी और वह अपने माता- पिता के हाथ पकड़े बहुत प्यारी मुस्कान लिए एक सुंदर - सफेद फ्रॉक पहने हुए थी। पत्नी ने एक याचक की नजर से गुस्से में लाल हुए पति से कहा- कम से कम इसे तो रहने दो। स्वयं को दोषी मानते हुए वह कह रही थी शायद एक मां होकर मैं उसमें अच्छे संस्कार नहीं भर पाई। परंतु पिता क्रोध में उबले जा रहा था और कह रहा था, उसने हमें कहीं का नहीं छोड़ा। मैं ये घर समेत सारी जायदाद को किसी अनाथाश्रम को दे दूंगा। थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा कर उसके पास वो गहने और रुपए भी नहीं रहने दूंगा । वो लड़का क्या सोचता है, मेरी इज्जत उतारकर मेरी ही जायदाद पर ऐश करेगा। कल ही वसीयतनामा करवा दूंगा। पत्नी से नाज की अंतिम फोटो ले उसे जलाते हुए वह बोला - हां, अगर तुमने भी उसकी अब कोई बात की तो मेरा मरा मुंह देखेगी, यह कहते ही वह अपनी पत्नी के गले लग जोर- जोर से रोने लगा।

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