ऋषि तिवारी"ज्योति"
अस्त्र-शस्त्र ब्रह्मास्त्र राज का,
दुनियां प्रत्यक्ष गवाही है ।
कलमराज कब आएगा,
इंतजार हम राही है ।
युगों-युगों से देव अस्त्र का,
जिसने दर्शन पान किया ।
कभी सुदर्शन का प्रहार तो,
कभी त्रिशूल भी राज किया ।
समय-समय पर अस्त्र बदल गए,
समय-समय पर शस्त्र बदल गए।
कभी चला था गदा जमाना,
कभी चला दिव्यास्त्र खजाना।
धरती अंबर गुन गाया था,
जब राज धनुष का आया था।
एक वक्त था धनुष और बाणों का,
गदा,चक्र, तलवारों का ।
फिर धीरे धीरे युग बदला,
कलयुग में सत्रेद्वायुग बदला।
हथियारों के राज बदल गए,
गुरु शिष्य और ज्ञान बदल गए।
दिव्य शक्ति का राज बदल कर,
तलवारों के म्यान बदल गए ।
क्रूर सल्तनत पर कुछ दिन तक,
भाला भी राज धमकाया था ।
हल्दी घाटी में घिस घिसकर,
जब राणा ने चमकाया था ।
पृथ्वी राज, शिवाजी ने जब,
अपना तलवार चलाया ।
उस वक्त पूरी दुनिया में,
तलवार राज लहराया ।
फिर युग आया बारुदों का,
राज तोप बंदूकों का ।
कुछ दसकों तक लठ्ठ चले थे,
कुछ मल्ल युद्ध भी राज किए थे।
अब राज है अतिक्रमणों का,
छूआछूत संक्रमणों का ।
वो दिन जाने कब आएगा,
शिक्षा भी सत्ता पाएगा ।
हथियारों के गठबंधन पर,
बहुमत कलम का आएगा।
✍️ ऋषि तिवारी"ज्योति"
चकरी, दरौली, सिवान (बिहार)