सफलता

ललिता पाण्डेय 

सफलता नहीं सिर्फ मंजिल पाना,पैसे कमाना

है परिभाषा इसकी सबके लिए अलग

मन की शांति भी हैं सफलता

भटके को राह दिखाना

गिरते को उठाना

किसी रोते को हंसाना

प्यासे को पानी पिलाना भी है सफलता

जीवन में एक पेड़ लगाना भी है सफलता

शिष्य की उन्नति देख

 गुरू की मुस्कान है सफलता

एक गुब्बारे वाले के

सारे गुब्बारे बिक जाना है सफलता

लहलहाती फसल देख

कृषक के नेत्रों की चमक है सफलता

एक कुम्हार का बिना टूटे

बर्तन बना लेना हैं सफलता।

एक बच्चे के बिना रुके 

पहाड़े सुना देना हैं सफलता

एक कवि के लिए 

उसके शब्दों का मान हैं सफलता


हाँ करनी पड़ती हैं।

सबको मेहनत समान

सूर्य की तपिश से ऊर्जा

चन्द्रमा से शीतलता लेनी पड़ती है।

रात में तारों की तरह टिमटिमाना पड़ता हैं।

माटी को हीरा बनाना पड़ता हैं।

लोगो के ताने भी सहने पड़ते हैं।

अपने अन्दर के एकलव्य को 

जगाना पड़ता हैं।


अपना हमराही स्वयं बनना पड़ता हैं।

खुद में खुद को तराशना पड़ता हैं।

सफलता की राह आसान नहीं होती,

ये किसी की दी सौगात नहीं होती।


ललिता पाण्डेय 

दिल्ली

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