जंगल की आग

एक बहुत बड़ा और घना जंगल था। जंगल में कई बार ज्येष्ठ माह की तपती गर्मी में आग लग जाती थी। आग लगने के कारण बहुत से पेड़ - पौधों और जानवरों की जान- माल का नुकसान हो जाता था। इस बार गर्मी बहुत लंबी पड़ी। जंगल में कई बार आग लगी। एक चतुर सियार जंगल का राजा बनना चाहता था। वह इस मौके का फायदा उठाना चाहता था। इसलिए वह एक विदेशी जंगल के राजा भेड़िए के पास गया और उन दोनों में एक गुप्त समझौता हुआ। उसने अपने साथ एक कौए को मिला लिया और वे जंगल में आग लगने के लिए राजा शेर को दोषी बता उसके विरुद्ध दुष्प्रचार करने लगे। विदेशी जंगल के राजा भेड़िए ने इस कार्य के लिए सियार को बहुत धन दिया। सियार और कौए ने उस धन से जंगल के सारे मीडिया को खरीद लिया। मीडिया ने भी राजा के विरुद्ध खूब दुष्प्रचार कर जंगल की सारी प्रजा को राजा के विरुद्ध कर दिया। राजा उनकी चाल समझता था, उसने अपनी प्रजा को बहुत समझाने की कोशिश की कि आग का लगना एक प्राकृतिक बात है परंतु माहौल उसके खिलाफ होता गया। राजा ने विचार कर अपने बेटे को राजा बनाना चाहा परंतु जंगल के सारे जानवरों ने बगावत कर दी और सियार को राजा बना दिया। सियार ने कौए को अपना प्रधानमंत्री बना दिया। नया राजा हर बात का बढ़ा- चढ़ा कर प्रचार करवाता और प्रजा के बीच जंगल की कोई भी सच्चाई जाने नहीं देता। एक बार विदेशी जंगल के राजा भेड़िया की उसके जंगल में घूमने आने की घोषणा हुई। भेड़िए के आने से पहले खूब प्रचार किया गया कि वह जंगल की भलाई के लिए काफी धन देगा। उसके साथ बहुत ऐसे विशेषज्ञ आ रहे हैं जिनकी तकनीकी से हमारे जंगल में कभी भी आग नहीं लगेगी। कई दिन तक मीडिया में इस बात पर पक्ष और विपक्ष में बहस चली। सियार ने अपना पक्ष रखने के लिए लोमड़ी को तो वहीं शेर ने मोर को अपना प्रवक्ता बना दिया। हर रोज सबसे बड़े चैनल के पत्रकार उल्लू के सामने लोमड़ी और मोर में बहस चलती। लोमड़ी कहती हमारा पुराना राजा नकारा था जो जंगल में आग लगती थी , भेड़िए के जंगल में आग क्यों नहीं लगती। मोर तर्क देता कि जहां उसका जंगल है ,वहां हमारी तरह गर्मी नहीं पड़ती और न ही उनका जंगल हमारे जंगल की तरह घना है, इसलिए आग नहीं लगती। तुम सरासर झूठ बोल रही हो। परंतु लोमड़ी कहती हमारे पास उन जैसी तकनीकी नहीं है और शेर ने इस बात पर कभी ध्यान नहीं दिया,इसके लिए पुराना राजा शेर उत्तरदायी है। उल्लू उसकी हां में हां मिला शेर को दोष देता। वह कहता आप जंगल का भला नहीं चाहते इसलिए विरोध कर रहे हो। एकाध छोटे- मोटे चैनल या अख़बार ने जंगलवासियों को सच्चाई बताने का निरर्थक प्रयास किया कि विदेशी हमारे जंगल पर कब्जा करना चाहते हैं। परंतु बड़ी- बड़ी चीखों के आगे उनकी पतली- सी आवाज दब कर रह गई। विदेशी राजा भेड़िया इस बीच जंगल में घूमने आ गया था। उसका बहुत आदर- सत्कार किया गया। वह जंगल घूमा और जंगल को आग से सुरक्षित करने के अनुबंध पर हस्ताक्षर कर अपने जंगल लौट गया। कुछ दिनों के बाद भेडिए के जंगल से एक कम्पनी आई और उसने अपनी योजना बनाई। आग लगने के लिए उसने सबसे पहले बड़े- बड़े

और भारी पेड़ों को जिम्मेवार बताया। उसने कहा -बड़े पेड़ों पर आकाशीय बिजली जल्दी गिरती है ,इसलिए सबसे पहले जंगल से इन्हें काटना होगा। बन्दर और चील ने उनका डट कर विरोध किया क्योंकि उनके घर इन्हीं पेड़ों पर थे। परंतु अन्य किसी भी जानवर ने उनका साथ नहीं दिया। उल्टे कौओं ने तो अपनी जाति का प्रधानमन्त्री होने के कारण बंदर और चील का विरोध किया और कम्पनी के साथ प्रचार किया कि वे अपने फायदे के लिए जंगल का नुकसान करना चाहते हैं। बन्दर और चील की आवाज को दबा दिया गया। अब कंपनी ने आग के लिए माध्यम आकार के पेड़ों को जिम्मेवार बताया। उसने प्रचार किया कि इन पेड़ों के कारण झाड़ियों और घास को हवा और धूप नहीं मिलती। जिसके कारण वे सूख जाते हैं और आग लग जाती है। अब हाथी और जिराफ ने इन पेड़ों को काटने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि हमारे जंगल के सारे पेड़ बेचकर ये काफी मुनाफा कमा रहे हैं। परंतु खरगोश, गीदड़ और चूहे इत्यादि जानवरों ने हाथी और जिराफ को अपना दुश्मन माना और उनका विरोध किया। वे कम्पनी की हां में हां मिलाते हुए कहने लगे कि इन बड़े जानवरों ने सदा हमें पैरों तले कुचला है। इसी तरह उनकी भी आवाज को दबा दिया गया और कम्पनी ने सारे पेड़ों को साफ कर दिया। अब कम्पनी ने प्रचार किया कि जंगल में आग लगने के लिए झाड़ियां और घनी घास ज्यादा जिम्मेवार है। इनकी रगड़ से भी आग लग जाती है। इनको काटकर जंगल में पक्के रास्ते बनाना अति आवश्यक है, जिससे जंगल की उचित देखभाल हो सके। अब छोटे जानवरों जैसे चूहा, लोमड़ी और खरगोश इत्यादि ने विरोध किया परंतु अन्य किसी भी जानवर ने उनका साथ नहीं दिया। वे सब इस बात से क्रोध में थे कि जब उनके संकट में किसी जानवर ने भी उनका साथ नहीं दिया तो वो भी अब उनका साथ क्यों दें। छोटे पौधों को काटकर जंगल में पक्के रास्ते बनाए जा रहे थे। जंगल के सभी जानवर भूख से मर रहे थे। अब कम्पनी की नजर जंगल के बीच बहने वाली नदी पर थी। उसने प्रचार किया कि अगर नदी को समाप्त कर छोटे- छोटे नाले बना दिए जाएं तो हर जगह पानी उपलब्ध होने के कारण आग नहीं लगेगी। कम्पनी ने यह भी प्रचार किया कि मगरमच्छ नदी के अन्य जीवों को खा जाते हैं और उन पर अत्याचार करते हैं। हम छोटे -छोटे नाले बनाकर नदी के सब जीवों को फलने- फूलने का अवसर प्रदान करेंगे। परंतु नदी में एक वृद्ध और समझदार कछुआ रहता था। उसने नदी के सारे जीवों को राजा और कम्पनी की चाल के बारे में सबको बता दिया था। उसने कहा- अगर हम भी जंगल के पशुओं की तरह आपस में लड़ेंगे तो हमारा हाल भी उन्हीं की तरह होगा। आपस में एक- दूसरे पर विश्वास न करके आज जंगल के सारे जानवर कैसे मारे- मारे फिर रहे हैं। उसने एक योजना बनाई। वर्षा ऋतु आने वाली है और अबकी बार जंगल में वृक्ष काट देने के कारण बाढ़ हर साल से अधिक आएगी। बाढ़ के डर से विदेशी कम्पनी कुछ समय के लिए वापिस चली जाएगी। उस समय हम सब ने मिलकर जंगल में बनाए पक्के रास्तों को पूरी तरह समाप्त कर देना है। बाढ़ सही समय पर आई और जंगल के सभी जानवरों ने मिलकर पक्के रास्तों को पूरी तरह नष्ट कर पुन:जंगल पर कब्जा कर लिया और सियार को राजा पद से हटा कर शेर को दोबारा अपना राजा घोषित कर दिया।

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