गुरूदेव

 


गुरू बिन ग्यान नही गुरू बिन ध्यान नही, 

शान नही गुरू बिन मनुज शरीर की। 

गुरू बिन दान नही गुरू बिन भान नही, 

बनी न दवाई गुरू बिन मन पीर की। 

गुरू हिय वास करे गुरू विश्वास करे,

मन गुरू दास करे, प्रीत नैन नीरकी

हिय जो उजास करे हर सुख कास करे, 

ह्रदय मे हुलास करे ले परीक्षा धीर की।। १।। 


भटक रहे है लोग पाल मानसिक रोग, 

नित भोग रहे भोग योग गुरू पास है। 

चकाचौंध चहुओर मन नही करे गौर, 

घोर अंधकार मे चिराग क्यो हतास है। 

सत्य की परख कर बेड़ा न गरक कर, 

हिय मे तरक कर कहा तेरी आस है। 

गुरू का लगाय ध्यान होगा आत्मा मे ग्यान, 

गुरू ही तो ह्रदय मे भरता उदास है।। २।। 


मन गुरू मंत्र भज चरणो की लिए रज, 

लहराता गुरू धज मंगल आगाज है। 

पुलकित मन आज स्वास स्वास गुरू राज, 

तिमिर की हार नव भौर वाला गांज है। 

आत्मा की गुरु भक्ति प्रबल हिय की शक्ति, 

गुरू पद अनुरक्ति मे शिष्य को नाज है। 

गुरू मे अगाध प्रेम श्रृद्धा नितनेम रख, 

मिलती आशीष गर नयनो मे लाज है।। ३।। 


                   🌷देवकी दर्पण🌷✍


काव्य कुंज रोटेदा जिला बून्दी( राज.) पिन 323301 मो. वार्सप 9799115517.

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