नज़्म


डा.मलय तिवारी

मिली है मुझको सजा, मेरी ख़ता से पहले। 

मैं लुट गया दर पे तेरी, तेरी अता से पहले। 


विखर न जाये कहीं फिर से नशेमन मेरा, 

ऐसा तूफान उठा दिल में वफा से पहले। 

ठीक हो जाएगा, इश्क़ में बीमार तेरा, 

दुआयें दे दो उसे, थोड़ी दवा से पहले।। 

मैं भी हैरान हुआ, देख कर तेरी महफिल, 

चाँद उतरा है यहाँ, जलती शमाँ के पहले।। 

बेरुखी देख कर उसकी, मुझे लगा जैसे, 

बेजान हो गया शायद, मैं कज़ा से पहले ।।

प्यार में दर्द ही मिलता है, उम्र भर के लिए, 

"मलय" यकीं नहीं है, तो करो इसका तजुरबा पहले।। 

      डाःमलय तिवारी

 बदलापुर , जौनपुर

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