डॕा शाहिदा
रस्मे दुनिया निभाए जा रहे हैं,
रिश्ते यूँ ही बनाए जा रहे हैं |
मोहब्बत नहीं है किसी को,
फिर भी मुस्कुराए जा रहे हैं |
सच पूछिये तो ये दिल है छलनी ,
राज़े असल छिपाए जा रहे हैं |
बीमार का हाल अच्छा है,
यही सबको बताए जा रहे हैं |
खिले थे गुल जो आरज़ुओं के,
वो सब मुरझाए जा रहे हैं |
ये हालात कैसे ठीक होंगे फिर,
यही सोचकर घबराए जा रहे हैं |
अजब सा माहौल है "शाहिद",
सब्ज़ बाग़ दिखाए जा रहे हैं |