ए है गज़ल तुम्हारे लिए
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नींद आये न, तुम जनाब आये।
कभी आये तो, तेरे ख्वाब आये।
तेरी यादों का, यार क्या कहना,
अगर आये तो, बेहिसाब आये।।
अजीब रंग तेरी, महफिल का,
आये जितने हैं, दिले बेताब आये।
खुदा का नूर है, या नजाकत है,
तेरे आरिज पे क्यूँ, महताब आये।
फैसला इश्क़ का, मेरे हक़ में,
"मलय" आये तो, लाजबाब आये।
जामे ग़म कितना पी गए हम
पूँछो ना फुरकत में तेरी, जामे ग़म कितना पी गए हम।।
तनहाई की कितनी रातें, काटी हैं तारे गिन गिन के,
कितने वीराने सजा दिये, कलियों के दामन चुन चुन के,
बेदर्द ज़माना क्या जाने, उल्फत में कैसे जी गये हम।।
मेरे दिल के पतझड़ में, जब तुम बहार बन आये थे,
सन्तप्त हृदय के मरुथल पर, सावन बनकर छाये थे,
उन यादों को दिल के दामन पर, वक्त के हाथों सी गये हम।।
ये प्यार भी कैसी शै है जालिम, दर्द हमेसा देता है,
सुख चैन छीन कर रातों की, यह नीदें भी हर लेता है,
फ़ेहरिस्त में नाम दीवानें के, करना था"मलय",कर भी गये हम।।
एक रुमानी गजल आपके नाम
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तनहाइयों में तुमको पुकारा करेंगे हम।।
ख्वाबोंं में जुल्फ तेरी, सवारा करेंगे हम।
तकता है जैसे कोई, चकोर चाँद को,
वैसे ही रुप तेरा, निहारा करेंगे हम।।
मुझे छोड़ कर न जाओ, है कसम तुम्हें,
सारे सितम तुम्हारे ,गवारा करेंगे हम।।
करना ख़ता है इश्क़, जमानें की नजर में,
ऐसी खता ही यारों, दुबारा करेंगे हम।।
मिलते ही मलय",तुमसे हम आशना हुए,
अब अश्क दिल में तेरा, उतारा करेंगे हम।।
डाःमलय तिवारी
बदलापुर, जौनपुर