जल ही जीवन

 

विनोद कुमार पांडेय

जल तुम हो जीवन,

तुमसे हरे भरे हैं वन।

स्वच्छ, निर्मल तेरा प्रवाह,

तेरे मन की है यह चाह।

तुमसे होती मिट्टी उर्वर,

तुमसे खुशहाल हर घर।

तुमसे तृप्त होता हर प्राणी,

तेरा गुणगान करते 

ऋषि, मुनि और ज्ञानि।

तेरे गुणों का मैं नहीं कर सकूंगा बखान,

जल तुम हो जैवमंडल की शान।

तुम बादल के घर से आते

तेरे आगमन पर जीव हर्षाते।

हरा भरा तुमसे संसार,

जीवों की प्यास बुझा कर

पाते तुम सब से प्यार।

करेंगे हम तुम्हारा संचय,

वृक्ष लगाकर रोकेंगे

मिट्टी का क्षय।

स्वच्छ रखेंगे पर्यावरण,

करेंगे शुद्ध जल का वरण।


    --विनोद कुमार पांडेय

        शिक्षक (रा० हाई स्कूल लिब्बरहेड़ी, हरिद्वार)

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