प्रकृति



वीरेंद्र सागर 

कुदरत का वरदान है ये, 

सब लोगों की जान है ये ||


पेड़ पौधे पशु और पक्षी, 

सब पृथ्वी की शान है ये || 


आदर करें सभी हम इनका,  

हम सबके मेहमान हैं ये ||


जितना तंग किया है इसको, 

आज उसका परिणाम है ये ||


इतना देख ना जागा फिर भी, 

फिर कैसा इंसान है ये ||


वक्त है संभल जाओ अभी भी, 

जीवन की पहचान है ये ||  


सुरक्षित हम रखेंगे इसको, 

हम सब ले पैमान है ये ||


इसको नष्ट किया गर हमने, 

फिर समझो शमशान है ये ||


- वीरेंद्र सागर 

- शिवपुरी मध्य प्रदेश

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