नीलम द्विवेदी
क्षमादान है महादान सब से बढ़कर,
नफरत के बीज मिटा आगे बढ़कर,
प्राश्चित के आँसुओं से हर पाप धुलेंगे,
भूल गलतियाँ गले लगा आगे बढ़कर।
भटके को भी एक नई राह मिल जाए,
उजड़े बागों में सुरभित पुष्प खिल जाए,
विश्वास भरे हाथों से जाकर थाम जरा,
आँधी में घिरकर ये पुष्प बिखर न जाए।
जो गलती करके उसे दिल से स्वीकारे,
साहस भरकर अपनी हर भूल सुधारे,
स्नेह भरे हृदय का सम्बल मिल जाए,
अँधियारी रातों को भी पूनम कर जाए।
गाँधीजी ने क्षमादान का महत्व बताया,
क्षमा मानव का सुंदरतम भाव बताया,
जग में जो क्षमादान दिल से अपनाया,
उम्मीदों की नवकिरण जग में भर पाया।।
नीलम द्विवेदी
रायपुर, छत्तीसगढ़।