किरण मिश्रा 'स्वयंसिद्धा '
जगत नियंता नियमन करो,अब साँसों के तार,
करूणा, दया दिखाइये विकल हुआ संसार।।
मानव की पीड़ा हरो, हे हर हर महादेव,
मौत तान्डव कर रही, शमन करो त्रिदेव।
डर रहा मानव से मानव, संकट छाया घोर ।
चहुंँ दिशि हाहाकार है, दे दो प्राण अघोर । ।
साँसों की बाजी लगी, साँसे नहीं नसीब,
दे दो दान में साँस प्रभु ,धरती हुई गरीब ।।
मनुजता की खातिर ईश, क्षम्य करो अपराध,
जीवन दीप बुझे नहीं, हर लो सबकी ब्याध।।
वो पालनहार मनुज का बन्द करो संहार,
ऐसा न हो कल तेरी मानवता करे उपहास।।
बिलख रही है माँ कहीं, छुटा कहीं सुहाग ,
बूढ़ा बाप रो रहा कलेजे को कैसे दूँ मैं आग।
इतने निर्मम क्यूँ प्रकृति, क्यूँ ये अत्याचार,
सो रहे हो किस गुफा ,जागो पालन हार।।
किरण मिश्रा स्वयंसिद्धा
नोयडा