©️®️पूनम शर्मा स्नेहिल ☯️
बैठ तन्हाई में चंद यादों से मुलाकात करो,
दो वक्त खुद को ,कभी कभी खुद से बात करो।
माना व्यस्त बड़ी है ये जिंदगी तुम्हारी,
देख आईना कभी-कभी खुद से ही प्यार करो।
बहुत रख लिया सभी का ख्याल तुमने,
इक मुस्कान से आज खुद का भी श्रृंगार करो।
ऐसी तो ना थी सखी तुम पहले कभी ,
अब तो हाल-ए-दिल का कुछ इजहार करो।
माना सभी को देख खुश हो जाती हो तुम,
आज खुद के भी नाम कुछ वक्त दो -चार करो।
वो गीत याद है तुम्हें जो गुनगुनाती थी अक्सर,
आज लबों से उन गीतों का फिर उच्चार करो।
पुष्पों सी खिली रहती थी हर पल तुम ,
वो शोखी वो शरारत आज फिर एक बार करो।
वक्त का क्या है यह तो गुजरता ही रहेगा,
वक्त से कुछ वक्त चुराकर खुद पे उपकार करो।
भुला दिया तुमने जाने क्यों खुद को इस कदर,
झरोखों से परदे हटा उजाला इक बार करो।
बैठ तनहाई में चंद यादों से मुलाकात करो,
दो वक्त खुद को कभी कभी खुद से बात करो।।