1.
चंद खुशियां ही सही कोई उधार दे मुझे,
इस दर्द-ए-ग़म से उबार दे मुझे||
यूं तो दवाओं का कारखाना है मेरे पास,
लेकिन तेरे सिवा कोई दवा नहीं जो सुधार दे मुझे||
तेरी मोहब्बत साथ है तो डर नहीं मुझे मौत का,
बीच मझधार में ही सही फिर चाहे तू उतार दे मुझे||
जिंदगी है तेरे ही हाथों में इस सागर की,
तू चाहे तो मिटा दे या संवार दे मुझे||
2.
मोहब्बत बेपनाह उसे करता था मैं,
लेकिन वो दोस्त समझी ऐसा याराना था मेरा ||
उसके आने की आहट से झूम उठता था मैं,
और उसकी खुशबू से महक उठता था घराना था मेरा ||
सामने इजहार करने की हिम्मत ना हुई कभी मेरी,
इजहार करने का तरीका पुराना था मेरा ||
मैंने इज़हार किया और वो उसे गज़ल समझ बैठी,
क्योंकि अंदाज मोहब्बत का शायराना था मेरा ||
- वीरेंद्र सागर
- शिवपुरी मध्य प्रदेश