सुभाषिनी जोशी 'सुलभ'
🌷🌷🌷
माँ दुनिया घूम कर आई , तेरा पार ना पाई।
संसार में हर किसी ने माँ तेरी महिमा ना गाई।
माँ तेरी ममता शीतल की छाँव में।
तेरे हृदय में बसे स्नेहिल गाँव में।
मैं डूबती और उतराती सी रहूँ ,
सदा तेरे नैनों की सजल ठाँव में।
मेरे लिए हरबार माँ तू अवसर बनकर छाई।
माँ दुनिया घूम कर आई, तेरा पार ना पाई।
माँ तूने इक सुन्दर सा जीवन दिया।
मन को सुसंस्कारित सा चिन्तन दिया।
दिल को अन्तर्मन तक सुकून देकर,
तन को भीना सा सुरभित चन्दन दिया।
माँ विकट परिस्थितियों में एक आवरण बन आई।
माँ दुनिया घूम कर आई , तेरा पार ना पाई।
हरएक पग मेरा हौसला बढाया।
हर वक्त में लेना फैसला सिखाया।
जीवटता से जीवन जीना सिखाकर,
उलझनों से मेरा फासला घटाया।
माँ मेरे जीवनपथ में तू बनी रहे परछाई।
माँ दुनिया घूम कर आई, तेरा पार ना पाई।
सुभाषिनी जोशी 'सुलभ'
इन्दौर मध्यप्रदेश