कवियत्री मनीषा कुमारी की रचनाएं



आज बहुत याद आ रही है माँ !

तेरे हाथों की वो फूली-फूली रोटियां

तेरे हाथों की वो मसालेदार सब्जियां

तेरे हाथों की वो गरमागरम चाय की प्यालियां

सच में आज तेरी बहुत याद आ रही हैं माँ 


मेरे बालों में प्यार से तेरा तेल लगाके सहलाना

जब दुखी हो जाऊं तब तेरा गले लगाके मनाना

एक प्यारा सा झप्पी देके मुझे ढेर सारी खुशियां देना

सच में आज तेरी बहुत याद आ रही हैं माँ


जब -जब मेरा परीक्षा का परिणाम आया है 

तब-तब तेरा खुशी से पूरे मोहल्ले में मिठाई बाटना 

सबके साथ मिलकर वो ख़ुशी के पल बिताना 

सच में आज तेरे बिना बहुत कमी खल रही हैं 


मेरे ख़ातिर खुद को भूखा रखना दुनिया से ताना सुनना

मेरे लिए ख़ुद को समर्पण करना निस्वार्थ प्यार करना

तेरा वो प्यार वो ममता आज बहुत याद आ रही हैं माँ

सच में आज तेरी बहुत याद आ रही हैं माँ 


सब कुछ मंजूर हैं अगर साथ तेरा हो...



सब कुछ मुमकिन हैं अगर तुम साथ हो मेरे

सब कुछ मंजूर है अगर तेरा प्यार साथ हो मेरे 

दुनिया के नजर में न सही तेरे दिल मे मेरा घर हो

तुम मेरे हो मेरे रहोगे इस बात से ये दुनिया बेखबर हो 


गमों की शाम हो या सुख का सवेरा हो 

सब कुछ मंजूर हैं अगर सनम साथ तेरा हो 

कितना भी लोग कुछ बोले कोई शिकवा नहीं

 जबतक जीवन में मेरे सर पे हाथ तेरा हो 


रिश्ता मेरा हैं तेरे साथ सदियो पुराना 

इस दिल ने फिर से है आज इसे माना 

सुबह से शाम बस तेरे ही चर्चे हो रहे हैं

ये दिल तेरे प्यार में युही मचल रहे हैं 


इंसान 



इंसान ही इंसान को मजबूत बना देती हैं ।

इंसान ही इंसान को चलना सीखा देती हैं।।


इंसान ही इंसान को बोलना सीखा देती हैं।

इंसान ही इंसान को रहना सीखा देती हैं ।।


इंसान ही इंसान को जीना सीखा देती हैं ।

इंसान ही इंसान को लड़ना सीखा देती हैं ।।


इंसान ही इंसान को टूटना सीखा देती हैं।

इंसान ही इंसान को रोना सीखा देती हैं ।।


इंसान ही इंसान को हँसना सीखा देती हैं ।

इंसान ही इंसान को मरना भी सीखा देती हैं ।।


इंसान ही इंसान को दुख सहना सीखा देती हैं ।

इंसान ही इंसान को आगे बढ़ना सीखा देती हैं।।


इंसान ही इंसान को कमजोर बना देती हैं ।

इंसान ही इंसान को झुकना सिखा देती हैं।।



साथ-साथ हैं हम


हम हमेशा आपके साथ हैं ,

मुझे भी आपसे उतना ही प्यार हैं,

मुझे भी आपसे बहुत लगाव हैं,

तुझसे दूर रहना अभी अभाव हैं ,


 मिलने को ये दिल बेकरार हैं,

मानाकि थोड़ी आज तक़रार हैं ,

बेवफ़ा नहीं हूँ मैं आजमा लेना तुम ,

इन आँखों मे बस तेरा इंजतार हैं ,


बेवजह मुझ पर इल्जाम मत लगाया कर 

मेरी बेबसी का तुम मजाक न उड़ाया कर

इतना प्यार देके तुम अब रूलाया न कर 

मेरी सब्र का इम्तिहान न ले तू आजकल


मनीषा कुमारी

मुंबई

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