वीरेंद्र सागर
क्यों ना मुस्कुराकर आज कोई बात की जाए,
प्रेम के रंग भरने की रिश्तो में शुरुआत की जाए ||
खफा होकर जो दूर हो गए हैं हमसे,
उन्हें अपने करीब लाने की कोई इजात की जाए ||
गिले-शिकवे भूलकर मुस्कुराए एक साथ सब,
क्यों ना सितारों से रोशन ऐसी रात की जाए ||
गले मिल जाएं और खुश हो जाएं सभी ,
क्यों ना ऐसी एक हसीन मुलाकात की जाए ||
भीग जाए प्रेम की फुहारों में सभी,
क्यों ना बिन मौसम ऐसी बरसात की जाए ||
सिखा सागर प्रेम की भाषा सभी को,
ये प्रेम भरी शरारत आपके साथ की जाए ||
- वीरेंद्र सागर
- शिवपुरी मध्य प्रदेश