मणि बेन द्विवेदी
अश्क़ आँखों में थी मुस्कुराती रही।
ज़िन्दगी हर क़दम आजमाती रही।
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मुड़ गया था जहाँ से तेरा रास्ता।
तेरी यादों के संग ही निभाती रही।
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थी उल्फ़त के अंज़ाम से बे ख़बर।
बेवफ़ा से मुहब्बत निभाती रही।
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दर्द पीने की आदत मुझे हो गई।
दर्द पर दर्द दे कर सताती रही।
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टुकड़े टुकड़े बिखरती रहीं कर्चियाँ।
बेमुरौअत सितम मुझपे ढाती रही
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इक दिन दिल के एहसास भी थक गए
उम्र भर बेवज़ह मैं मनाती रही।
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वो गए छोड़ कर जब से तन्हा मुझे।
याद ही साथ अपना निभाती रही।
मणि बेन द्विवेदी
वाराणसी उत्तर प्रदेश
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