बचपन


नूर फातिमा खातून नूरी 


बचपन का जमाना मिलने वाला कहां,

कतरन का खिलौना सिलने वाला कहां।


बारिश में दौड़- दौड़ कर नहाना कहां,

स्कूल से घर भागने का बहाना कहां।


कागज की नाव का नाविक चींटा कहां,

मेरे चोटियों का सफेद वाला फिता कहां।


लुका-छिपी वाला पुराना खंडहर कहां ,

खेलने वाला कंचा, कंकड़-पत्थर कहां।


किताबों से ज्यादा खिलौने वाला बस्ता कहां,

पगडंडी,बाग,खेत-खलिहान वाला रस्ता कहां।


नानी,दादी के राजा-रानी वाले किस्से कहां,

पड़ोसी के शादी के मिठाई वाले हिस्से कहां।


मिट्टी का घर, खिलौने, गुड्डे-गुड़िया कहां,

पांच, दस, पैसे की चुरन की पुड़िया कहां।


दौड़ती- भागती जिंदगी अब बचपन कहां,

हर तरफ गर्द-गुबार शांत वाला उपवन कहां।


नूर फातिमा खातून नूरी 

शिक्षिका 

जिला-कुशीनगर 

उत्तर प्रदेश


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