नीलम द्विवेदी
कर्तव्यों को निभा रे मानव सोच नहीं,
प्रतिफल क्या होगा किसी को पता नहीं,
वर्तमान की चिंता कर के उसे सुधार,
भविष्य कैसा होगा किसी ने जाना नहीं,
खुद जी सुख से और सभी को जीने दो,
किसी लालच में पड़ अपना आज न खो,
सही कर्म का फल सदा ही मिले सही,
इस धरा ने सबका सदा भला किया है,
जब अपने कर्मों से लोगों ने काँटे बोए,
फल स्वरूप धरा ने उनको वही दिया है,
जहर अगर हम आज हवा में फैलाएंगे,
फिर अगली पीढ़ी भविष्य में क्या पाएगी,
हमारे कर्मों की सजा उन्हें ही मिल जाएगी,
इस प्रकृति से जो लिया उसे ही लौटना है,
ज्यादा का संचय करके कुछ न पाना है,
जितना इसको देंगे वो ही वापस आएगा,
और सुखद हम सबका भविष्य हो जाएगा।
नीलम द्विवेदी
रायपुर छत्तीसगढ़