माँ
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माँ की महिमा है अनंत,
है माँ से जीवन - संसार,
माँ से है ये सृष्टि सारी,
औ माँ ही हैं जीवनाधार,
माँ ही हैं जीवनाधार,
हैं लालन-पालन करतीं माँ!
कहते 'कमलाकर' हैं सचही,
सबकी जन्मदात्री हैं माँ।।
वंदना
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नित वंदना करो प्रभु की,
सुख - शांति रहेगी जीवनमें,
औ हृष्ट - पुष्ट रहेंगे आजीवन,
कभी भय-भ्रांति न रहेगी मनमें,
कभी भय-भ्रांति न रहेगी मनमें,
तन-मन रहेगा सदैव उल्लसित,
कहते 'कमलाकर' हैं सविनय,
प्रभुकीअर्चना-वंदना करें नित।।
पर्यावरण
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शुद्ध शाकाहारी करें भोजन,
सुसंस्कार रहे सुविचार,
नियम-संयम रखें जीवनमें,
कोरोना का होगा बंटाधार,
कोरोना का होगा बंटाधार,
सदा पर्यावरण रखें विशुद्ध,
कहते 'कमलाकर'हैं जीवनमें,
तन-मन रहेगा निरोग-शुद्ध।।
कवि कमलाकर त्रिपाठी.